आज भी मैं क्यों तुझसे इतना प्यार करता हूं,
दिन तो निकल जाता है पर रात को हर रोज़ मरता हूँ,
बेखयाली में अकेला तेरे अक्स से बाते करता हूं
मुझे पता है कि अब तू मेरी किस्मत में नही
फिर भी तुझे पाने के लिए हर रोज़ इस किस्मत से लड़ता हूँ मैं
दिन तो निकल जाता है पर रात को हर रोज़ मरता हूँ,
बेखयाली में अकेला तेरे अक्स से बाते करता हूं
मुझे पता है कि अब तू मेरी किस्मत में नही
फिर भी तुझे पाने के लिए हर रोज़ इस किस्मत से लड़ता हूँ मैं
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